Read more »
MS18 महर्षि मेँहीँ सत्संग-सुधा-सागर
प्रभु प्रेमियों ! 'महर्षि मेँहीँ साहित्य सूची की 18 वीं पुस्तक "'महर्षि मेँहीँ सत्संग-सुधा-सागर" है। इस पुस्तक में सद्गुरु महर्षि मेँहीँ परमहंस जी महाराज के जीवन भर दिये उपदेशों से 323 उपदेशों का संकलन किया गया है। ये उपदेश संसार से दुखित लोगों के दुखों के निवारण में पूर्णतः समर्थ है।
![]() |
महर्षि मेँहीँ सत्संग सुधा-सागर |
323 प्रवचनों में सम्पूर्ण बह्मज्ञान
प्रभु प्रेमियों ! "महर्षि मेँहीँ सत्संग-सुधा-सागर" एक ऐसा ग्रंथ है, जिसमें शुरू से अंत तक मानव जीवन के सम्पूर्ण दु:खों से छुटकारा दिलाने के लिए धर्मग्रथों, साधु-संतों कोटेशन और निजी अनुभूतियों सहित तर्कसंगत, बुध्दिसंमत युक्तियों से भरा हुआ है। इस ग्रन्थ को अगर कोई एक बार भी शुरू से अंत तक मनोयोग पूर्वक पाठ कर लेता है, तो उसे ब्रह्म ज्ञान हो जाता है। जिसे बौद्धिक रूप से भी ब्रह्म ज्ञान की प्राप्ति हो जाती है। उसे मनुष्य शरीर का मिलना ध्रुव निश्चित है। उसे तब तक मनुष्य शरीर मिलता रहेगा जब तक की उसे मोक्ष नहीं मिल जाता। क्योंकि शास्त्रों में बताया गया है कि "अगर इस जन्म में ब्रह्म को जान लिया तब तो ठीक है नहीं तो बहुत बड़ी हानि है । " इन सभी प्रवचनों का एक बार भी पाठ कर लेने से व्यक्ति को ब्रह्म संबंधी ठोस एवं प्रमाणिक जानकारी हो जाती है । जिसके फलस्वरूप उपर्युक्त लाभ मिलना अनिवार्य है।
इन उपदेशों में सत्संग, ध्यान, ईश्वर, सद्गुरु एवं अन्य आध्यात्मिक बातों की आवश्यकता और जीवन में इसकी उपयोगिता का वर्णन है। मनुष्य के सभी दुखों से छूड़ाने में इनकी महत्वपूर्ण भूमिका है। इन उपदेशों में कहीं बहुत ही विस्तार से, तो कहीं संक्षेप में एवं कहीं सामान्य रूप से वर्णन है। इनको पढ़कर संपूर्ण रुप से बोध हो जाता है कि मानव मात्र के संपूर्ण दु:ख का कारण क्या है? सभी दू:खों के निवारण का उत्तम और प्रमाणिक साधन क्या है? तो आइए इस ग्रंथ के प्रत्येक प्रवचनों के बारे में जाने ।
इस ग्रंथ की महिमा अपार है इसका संपूर्ण वर्णन करना हमारे जैसे अल्पज्ञ से कठिन है। फिर भी अगर आपको सत्संग, ध्यान, ईश्वर, सद्गुरु एवं अन्य आध्यात्मिक बातों की से संबंधित ठोस एवं धर्म शास्त्रों से प्रमाणित जानकारी चाहिए तो इस ग्रंथ को अपने जीवन में एक बार अवश्य पाठ करें। अधिक क्या कहें आप स्वयं इसका पाठ कर इसकी महिमा का अनुभूति करें।
price/INR1100.00(Manprice₹1800-33%=1206.00)
off/-33%
size/52.00cm/26.00cm/4.52cm/L.R.U.
नोट- प्रभु प्रेमियों ! पुस्तक का मूल्य ऑफलाइन और ऑनलाइन में काफी अंतर हो जाता है, क्योंकि ऑफलाइन में आप तुरंत पैसे देते हैं और आपको पुस्तक मिल जाती है लेकिन ऑनलाइन में पुस्तक सेलेक्ट होने के बाद उसे ऑर्डर को देखा जाता है उसकी पैकिंग किया जाता है और फिर डाक के द्वारा भेजने के लिए आदमी का व्यवस्था करना पड़ता है इसमें समय लगता है और मजदूरी लगता है । इंटरनेट का खर्चा आता है । पैसे लेने के लिए भी ऑनलाइन ट्रांजैक्शन फीस लगता है। इसके साथ ही मोक्ष पर्यंत ध्यानाभ्यास कार्यक्रम अबाध रूप से चलता रहे उसके लिए भी इसी में कुछ सहयोग राशि जोड़ दिया जाता है । जिस कारण से पुस्तक का मूल्य में बदलाव आपको देखने को मिलेगा आपको। अगर ऑफलाइन में पुस्तक लेंगे तो प्रिंट मूल्य पर मिल जाएगा लेकिन ऑनलाइन में इस तरह का सुविधा करने में असमर्थ हूँ।
0 Reviews